3 सितंबर 2012

ठाट की ठठरी , जनसत्ता ०१ सितम्बर २०१२


दुनिया मेरे आगे, जनसत्ता ०१ सितम्बर २०१२

ठाट की ठठरी
विनोद तिवारी

बचपन में माँ से यह कहानी सुना था कि, एक राजा था जिसको भगवान से वरदान मिला था कि वह जिस किसी भी वस्तु को छू भर देगा वह सोना हो जायेगा | बाद में बड़े होने पर भी इस किस्से के मूल चरित और उसके ओरछोर के बारे में पता नहीं चला कि वह राजा कौन था ? कहाँ रहता था ? जब मैंने पुराण, इतिहास, मिथक, महाकाव्य  और उपन्यास के आपसी रिश्तों पर पी-एच.डी. का काम शुरू किया तो ग्रीक मायिथोलाजी को भी पढ़ने की जरूरत महसूस हुयी तभी मैंने जाना कि, छूकर सोना बनाने वाला राजा ग्रीको-रोमन सम्राट मिडास था | लोक कथाओं में मिडास के बारे में मिलता है कि वह फ्रेगियन साम्राज्य का एक बहुत ही ख्यात राजा था | उसका अस्तित्व ‘ट्रोजन युद्ध’ के पहले, दो हज़ार वर्ष ईसा पूर्व माना जाता है | अरस्तू ने मिडास का ज़िक्र करते हुए उस प्रसिद्ध लोककथा का उल्लेख किया है | होमर के यहाँ मिडास का कोई उल्लेख नहीं मिलता | मिडास के बारे में प्रचलित लोककथा यह है कि, एक बार ग्रीक देवता डायोनिसस का मित्र सायिलेनियस फ्रेगियन साम्राज्य घूमने की इच्छा से यात्रा पर निकला | यात्रा में उसने इतना अधिक मदिरा-पान कर लिया कि फ्रेगियन राजधानी गार्डियोन पहुँचते – पहुँचते वह नशे में बेसुध हो चुका था और मिडास के बारे में अनाप-सनाप बोल रहा था | राजा के सैनिकों ने उसे पकड़कर राजदरबार में पेश किया | मिडास ने जब उससे उसका परिचय पूछा और यह जानने के बाद कि वह ग्रीक देवता डायोनिसस का मित्र है उसने तुरंत उसे बंधन मुक्त किया और १० दिन तक उसकी खूब मेहमाननवाजी की | ग्यारहवें दिन उसे लेकर डायोनिसस के पास पहुंचा | इधर अपने मित्र के न मिलने पर हताश – निराश डायोनिसस ने जब मिडास के साथ सायिलेनियस को देखा तो बहुत ही खुश हुआ | उसने मिडास से कहा कि इस खुशी के मौके पर तुम्हारी जो इच्छा हो मांग लो | मिडास ने कहा कि यह बात है तो मुझे वरदान दीजिए कि मैं जिस चीज़ को भी छुऊँ वह सोना हो जाय | डायोनिसस ने कहा कि एक बार फिर से सोच लो पर मिडास के अटल होने पर उसने तथास्तु कह कर मिडास को विदा किया | फिर तो मिडास जैसे खुशी से पागल हो गया हो | वह हर एक चीज़ को छू-छू कर सोना बनाने लगा | इसी बीच में उसकी बेटी उसके सामने आयी वह खुशी से उसे बाहों में भरने के लिए आगे बढ़ा, छूते ही वह सोने में तब्दील हो गयी | वह बहुत रोया | प्यास लगी, पानी छूते ही सोना हो गया, भूख लगी खाना छूते ही सोना | अब उसे समझ में आया कि उसने क्या मांग लिया | उसने डायोनिसस से बहुत प्रार्थना की कि, मुझे इस विपत्ति से मुक्त करो | डायोनिसस ने उसकी हालत पर तरस खा कर उससे कहा कि पैक्तोलस नदी में जाकर तीन बार डुबकी लगाओगे तो इस वरदान से मुक्त हो जाओगे | मिडास ने वैसा ही किया | जिस क्षण उसने डुबकियां लीं उस क्षण पानी के साथ बहने वाली रेत सोने के कणों में तब्दील हो गयी और नदी किनारे सोने की रेत फ़ैल गयी | 
      पैक्तोलस नदी आज भी तुर्की की एक नदी है जिसे – सोन नदी (आल्तिन नेहेर) के नाम से जाना जाता है | जब तुर्की आया और अंकारा में रहने लगा तो उत्सुकतावश यह जानने की कोशिश करने लगा कि इसका नाम अंकारा कैसे पड़ा | कईयों से तफ्तीश के बाद पता लगा कि इसके तीन नाम हैं– अंकारा, अंगूरा और अंकयीरा | जिसमें सबसे पुराना नाम अंकयीरा है जो मिडास के द्वारा रखा गया था| ग्रीक भाषा में इसका मतलब होता है– लंगर | मिडास के बारे में और पूछने पर यह जानकारी मिली कि, उसके फ्रेगियन साम्राज्य की राजधानी गार्डियोन तुर्की में ही है और अंकारा से लगभग १०० किमी. की दूरी पर ध्वन्साशेष के रूप में आज भी मौजूद है | दरअसल, गार्डियोन नाम मिडास ने अपने पिता गार्डियस के नाम पर रखा था | पूरे योरोप में ‘गार्डियोन नॉट मशहूर है | फिर क्या था मैं पहुँच गया उस करामाती सम्राट की राजधानी गार्डियोन | गार्डियोन में मिडास का मकबरा देखा जो हज़ारों वर्षों से चट्टानी मिट्टी जमा होते-होते ढूह बन गया है और बाहर से स्तूप जैसा दिखता है | गार्डियोन में ऐसे सैकड़ों स्तूपनुमा मकबरे मौजूद हैं | मिडास के मकबरे की ऊँचाई ५३ मीटर और चौड़ाई ३०० मीटर है | तुर्की सरकार ने एक तरफ से उन चट्टानों को काटकर सुरंगनुमा रास्ता बनाया है जिससे होकर हम मकबरे तक जा सकते है पर देखना बाहर से ही हो सकता है अंदर जाने का कोई रास्ता नहीं है | खुदाई में मिली फ्रेगियन साम्राज्य की वस्तुओं का संग्रहालय देखा जिसमें फ्रेगियन सभ्यता और संस्कृति की उन्नत निशानियाँ मौजूद हैं | संग्रहालय में चलते-चलते जब अंदर की ओर पहुंचा तो एक मानव कंकाल दिखा जो संग्रहालय का हिस्सा है और जिसके बारे में बताया गया कि यह मिडास का नर-कंकाल है | सारा उत्साह सारी इच्छा सारे कौतूहल एकबारगी उस सुरंग में समाते चले गए जहाँ से मकबरा देखकर हम निकले थे | सन्न गुमसुम उस ठठरी को देखता रहा जिसका कभी इतना ठाट था | ठाट चला गया ठठरी कैमरे में कैद मेरे साथ–साथ घर आ गयी जो महज एक तस्वीर नहीं वरन पूरी तवारीख है एक पूरा मिथ  |  

विनोद तिवारी
विजिटिंग प्रोफेसर
अंकारा युनिवर्सिटी, अंकारा, तुर्की







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